Thursday, 13 October 2016

तथागत 

सब पार
कर
चुके जो

दरियाओं
का सीना
चीर
चुके जो

हर
ग़लती को सही
करता है
जो

हर शोर
पर
सन्नाटे
की मुहर
लगाए
जो

हर
फड़फड़ाती
तमन्ना
तमाम
कर दे
जो

जीने की जल्दी 


कहीं तो
रुक
जाओ

द्रुतगमन
वाले
पथिक

हर
किसी
की
रफ़्तार
तुम्हारी सी
 नहीं होती

कहीं तो
जाकर
थकोगे
कहीं तो
जाकर
थमोगे

इस बात
को गौर कर
लो
कि
हर जगह
ठौर
नहीं होती।

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