Monday, 17 October 2016

बेबसी 




हर वक़्त
अपने आप
काल्पनिक
चिंताओं
से इतने
बुरी तरह
ग्रसित
किसी इंसान
को बहुत
कम
देखा है।

दुःस्वप्नों
से घिरे
किसी
आत्मा
को बेवजह
तड़पते
बहुत कम
जाना है।

सदियों पुरानी
यादों के
बवंडर में
खोये
किसी
मन को
आज तक
बिलखते
बहुत कम
देखा है।

अपने मन
के खाई
के अँधेरे
में
अपने आप
का गला
घोटते
दम घुटते
बहुत कम
देखा
है।

खुद के लिए
इतनी
मानसिक
यातनाएं
रचते
हुए
किसी को
बहुत कम
देखा
है।

खुद
में इतना
विलुप्त
होकर भी
खुद से इतनी
नफरत
बहुत कम
देखा है।





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