नींद
देर हो गयी है
अब सोना चाहिए
यह कैसे समझायें
उनको
जिन्होंने
नींद गिरवी रख दी
मुहब्बत
के घर में।
कल की
दिवाली
खुशहाली
की उम्मीद
कर के बैठे हैं
आज
अमावस की रात
है , और
एकमात्र
जलता दीपक
चैन का
हम
बुझा आये हैं.
बड़े
कंजूस हैं हम।
बड़ी देर की
तमन्ना थी
की सुबह
उठें
और सूरज
को
प्रणाम करें।
अब रोज़
सुबह
सूरज हमें
पूछता है
क्यों ?
कल रात भी
नहीं सोये ?
पथरा गयी
नज़र
क्यों करते
हो इंतज़ार
ख़ामख़ा
इस बार
तो वो
भी
तुम्हें
पहचान न
पाएंगे
रास्ते का पत्थर
समझकर
देर हो गयी है
अब सोना चाहिए
यह कैसे समझायें
उनको
जिन्होंने
नींद गिरवी रख दी
मुहब्बत
के घर में।
कल की
दिवाली
खुशहाली
की उम्मीद
कर के बैठे हैं
आज
अमावस की रात
है , और
एकमात्र
जलता दीपक
चैन का
हम
बुझा आये हैं.
बड़े
कंजूस हैं हम।
बड़ी देर की
तमन्ना थी
की सुबह
उठें
और सूरज
को
प्रणाम करें।
अब रोज़
सुबह
सूरज हमें
पूछता है
क्यों ?
कल रात भी
नहीं सोये ?
पथरा गयी
नज़र
क्यों करते
हो इंतज़ार
ख़ामख़ा
इस बार
तो वो
भी
तुम्हें
पहचान न
पाएंगे
रास्ते का पत्थर
समझकर
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