Wednesday, 19 October 2016

प्रातः

भोर                                  
सवेरा
आया
अपनी
पीली
धुप के पहले
हलकी सी ठंडी
हवा वाली
रौशनी
फैलाई
जिसने
रात की स्याही
मिटाकर
सूरज
का रास्ता
साफ़ किया।

दिन चढ़ने से
पहले
स्कूली
बच्चों
की
तरह
चिड़ियों
ने समूह
गीत गया।

इतनी मेहनतों
के बाद
दिन चढ़ा
है
चकाचौंध
धूप  वाली
दोपहर
होते होते
सुबह
अधेड़ हो जाती
है
चौखट पर बैठकर
बड़ी बड़ी हाँकने
वाले
चौधरी की तरह।

ओ सूर्य देवता
मूछों पर ताव
देना
बंद  करो ,
अब तो
बस
लजाती
शर्माती
सांवली
शाम का इंतज़ार
है।


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