Monday, 17 October 2016

बारिश

कल शाम
बहुत देर तक
काफी बारिश
हुई
ओले भी पड़े
पर मजाल
है कि 
हम  छतरी
लगायें
क्योंकि
हमने तय
कर लिया
था
की इस बार
हम छलनी
नहीं
होंगे।
हमें नाज़
है
अपनी मोटी
चमड़ी पर।
सब झेल
गए
हम मानों
घास हों
बिछी
धरती पर।

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