आज फिर
चाव से लिखे
अल्फ़ाज़
को
दरिया में
बहाया
हमने।
आज फिर
अपने शब्दों
का
गला घोंट
कर
मुस्कुराया
हमने।
आज फिर
सन्नाटे की
ज़ोरदार गूँज
से सहम कर
कान में
स्पीकर
लगाया
हमने।
आज फिर
कुलबुलाते
अरमानों
को अफीम
का घूँट
पिलाया
हमने।
आज फिर
सपनों को
सुलाया
हमने।
आज फिर
दिन ढलने
के पहले
शाम
का
स्वागत
किया हमने।
रात मिली
हमें
गली के मोड़
पर
किसी
पुराने
शराबी यार
सी
नशे में धुत।
हमने पुछा
तो बताया
आज तो
दर्द
ज़ाहिर कर देते
प्यारे
आज भी
सारे ज़ख्मों
को
अँधेरे में
छुपाया
तुमने।
चाव से लिखे
अल्फ़ाज़
को
दरिया में
बहाया
हमने।
आज फिर
अपने शब्दों
का
गला घोंट
कर
मुस्कुराया
हमने।
आज फिर
सन्नाटे की
ज़ोरदार गूँज
से सहम कर
कान में
स्पीकर
लगाया
हमने।
आज फिर
कुलबुलाते
अरमानों
को अफीम
का घूँट
पिलाया
हमने।
आज फिर
सपनों को
सुलाया
हमने।
आज फिर
दिन ढलने
के पहले
शाम
का
स्वागत
किया हमने।
रात मिली
हमें
गली के मोड़
पर
किसी
पुराने
शराबी यार
सी
नशे में धुत।
हमने पुछा
तो बताया
आज तो
दर्द
ज़ाहिर कर देते
प्यारे
आज भी
सारे ज़ख्मों
को
अँधेरे में
छुपाया
तुमने।
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