वे खुशनसीब
या अजीबोगरीब
होते हैं
जो
औरों की आँखों
को नहीं
पढ़ पाते
और शब्दों
के कोलाहल
में खोये रहते हैं।
उनको किसी
के रोष
का डर
नहीं लगता
किसी की
झिजक पर
तरस
नहीं आता
किसी की ग्लानि
की चुभन
उन्हें भेदती
नहीं।
क्योंकि आँखें होते हुए
भी
उन्हें कुछ
दिखती
नहीं।
या अजीबोगरीब
होते हैं
जो
औरों की आँखों
को नहीं
पढ़ पाते
और शब्दों
के कोलाहल
में खोये रहते हैं।
उनको किसी
के रोष
का डर
नहीं लगता
किसी की
झिजक पर
तरस
नहीं आता
किसी की ग्लानि
की चुभन
उन्हें भेदती
नहीं।
क्योंकि आँखें होते हुए
भी
उन्हें कुछ
दिखती
नहीं।
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